
संस्कृत-वर्ण विचारः वर्ण-विचारः वर्ण- उस मूल ध्वनि को वर्ण कहते हैं, जिसके टुकड़े न हो सकें, जैसे- क् ख् ग् घ् आदि। इन्हें अक्षर भी कहते हैं। अतः वर्ण या अक्षर भाषा की मूल ध्वनियों को कहते हैं, जैसे- ‘घट;’ पद में घ् अ अ और : (विसर्ग) ये मूल ध्वनियाँ हैं, जिन्हें वर्ण या अक्षर कहते हैं। वर्ण के भेद वर्ण दो प्रकार के होते हैं- स्वर व्यञ्जन।। वर्ण विचार स्वर ( अच् )- जिन वर्गों का उच्चारण करने के लिए अन्य किसी वर्ण की सहायता नहीं लेनी पड़ती, उन्हें स्वर कहते हैं। स्वरों की संख्या 13 है : अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लु ए ऐ ओ औ। स्वरों का वर्गीकरण – उच्चारण काल अथवा मात्रा के आधार पर स्वर निम्न तीन प्रकार के माने गये हैं- (i) ह्रस्व स्वर (ii) दीर्घ स्वर (iii) प्लुत स्वर। (i) ह्रस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय लगे अर्थात् कम से कम समय लगे उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं, जैसे- अ, इ, उ, ऋ, लू। इनकी संख्या 5 है। GLOBAL WORLD ACADEMY (ii) दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण काल में मूल स...